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गोपाल खेमका की राजधानी पटना में गोली मारकर हत्या, व्यापारी समुदाय में दहशत

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प्रयाग भारत, पटना; सात साल पहले बिहार के वैशाली जिले के हाजीपुर में एक सनसनीखेज हत्याकांड ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया था. पटना के प्रमुख व्यवसायी गोपाल खेमका के बड़े बेटे और बीजेपी के लघु उद्योग प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक गुंजन खेमका की हाजीपुर औद्योगिक थाना क्षेत्र में उनकी पेपर मिल के गेट पर बाइक सवार अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. यह घटना दिनदहाड़े दोपहर करीब 12 बजे तब हुई थी जब गुंजन अपनी कार से पटना से हाजीपुर स्थित जीके कॉटन फैक्ट्री और एक्सेल पेपर फैक्ट्री पहुंचे थे. इस हत्याकांड ने बिहार में अपराधियों के बढ़ते हौसले और कानून व्यवस्था की नाकामी को उजागर किया था

घटना के बारे में बताया जाता है कि 20 दिसंबर 2018 की सुबह हाजीपुर के औद्योगिक थाना क्षेत्र स्थित पटना के व्यवसायी गोपाल खेमका की फैक्ट्री के गेट पर अपराधियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर हत्या कर दी थी. घटना के वक्त खेमका के गार्ड और कर्मचारियों ने अपराधियों को पकड़ने की कोशिश भी की थी, लेकिन अपराधी मौके से फरार हो गए थे. पटना के बड़े व्यवसायियों में से एक गुंजन खेमका की बाइक सवार एक अपराधी ने औद्योगिक थाना क्षेत्र स्थित व्यवसायी की फैक्ट्री के गेट पर गोली मार कर हत्या कर दी थी. इस घटना में गाड़ी के ड्राइवर को भी एक गोली छूते हुए निकली थी और वो मामूली रूप से जख्मी हो गया था.

 

गुंजन खेमका के साथ क्या हुआ था?

घटना के बारे में ड्राइवर मनोज रविदास ने बताया था कि सुबह पटना से अपने मालिक गुंजन खेमका क्रेटा गाड़ी से अपनी फैक्ट्री के लिए निकले थे और दोपहर लगभग 12 बजे फैक्ट्री के गेट पर पहुंचे तो फैक्ट्री का गेट खोलने के लिए गार्ड बाहर आया. जैसे ही गेट खोला तभी एक बाइक सवार अपराधियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी. गाड़ी की अगली सीट पर गुंजन बैठे हुए थे और शीशा चढ़ा हुआ था. बावजूद इसके अपराधी ने सटीक गोली मारी और व्यवसायी गुंजन खेमका के सिर और बाकी जगह तीन गोलियां लगीं. इसी में से एक गोली छिटक कर ड्राइवर को भी एक गोली जांघ के पास लगी. गोलियों की आवाज सुन फैक्ट्री के बाकी कर्मचारी भी बाहर निकले और बाइक सवार को पकड़ने का प्रयास किया, लेकिन अपराधी ने गार्ड पर भी पिस्टल भिड़ा दिया और लहराते हुए फरार हो गया.

पुलिस महकमे में हड़कंप मचा गया

बिहार के बड़े व्यवसायी भाजपा नेता गुंजन खेमका की हत्या ने वैशाली पुलिस की नींद उड़ा दी थी. पटना पुलिस, पटना एसटीएफ सहित कई पुलिस टीम इस कांड के उद्भेदन में लगी हुई थी. वैशाली पुलिस की तकनीकी टीम घटना के तुरंत बाद एक्टिव होते हुए घटनास्थल से मोबाइल टावर डंप डाटा निकाला. टीम ने गुंजन की फैक्ट्री, पासवान चौक, मृतक के घर के साथ पटना के कई जगहों से मोबाइल टावर डंप डाटा निकाला गया. इस डाटा में एक लाख दस हजार नंबर मिले. जिनमें से संदिग्ध मोबाइल नंबरों की खोज शुरू हुई. कई हजार पन्नों में फैले मोबाइल नंबरों के डिटेल खोजते हुए पुलिस ने पटना के मस्तु का मोबाइल नंबर मिला. गुंजन खेमका की हत्या से पहले और बाद में इसके मोबाइल टावर की हरकत ने वैशाली पुलिस के कान खड़े कर दिए. जैसे – जैसे इसके मोबाइल नंबर को पुलिस ने खंगाला पूरे मामले का खुलासा होता गया.

50 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई

वहीं, इस मामले में 50 से ज्यादा लोगों से पूछताछ भी की गई थी. गुंजन की हत्या के बाद वैशाली के तत्कालीन एसपी मानवजीत सिंह ढिल्लो, एएसपी सह हाजीपुर एसडीपीओ महेंद्र कुमार बसंत्री,औद्योगिक थानाध्यक्ष भगीरथ प्रसाद सहित वैशाली पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने शुरू हो गए थे. पुलिस टीम ने इस मामले में घटना के बाद से ही कई लोगों से पूछताछ करनी शुरू कर दी थी. सुबूत नहीं मिलने पर पुलिस उन्हें छोड़ दे रही थी. बताया जाता है कि पुलिस इस हत्याकांड में 50 से ज्यादा लोगों से पूछताछ कर चुकी थी. इतना ही नहीं गुंजन खेमका हत्याकांड के तार हाजीपुर के साथ पटना के बेउर जेल तक जुड़े हुए थे. पुलिस सूत्र ने बताया कि इस हत्याकांड को अंजाम देने के लिए गिरफ्तार अभिषेक कुमार उर्फ मस्तु को सुपारी मिली थी.

आरोपी मस्तु को भी गोली मार दी गई

इस कांड को अंजाम देने के लिए इसने वैशाली के सदर थाना क्षेत्र के रहने वाले एक व्यक्ति से संपर्क साधा, जिसका पुराना आपराधिक इतिहास रहा है. इस व्यक्ति से पटना में एक चर्चित हत्याकांड में बेउर जेल में बंद कुख्यात से संपर्क साधा. जिसने अपने एक शूटर से इस हत्याकांड को अंजाम दिलाया. गिरफ्तार पटना सिटी के चौक थाना के रहने वाले अभिषेक उर्प मस्तु का इतिहास बहुत बड़ा था. इस पर पटना जिले में दर्जनों मामले दर्ज थे. 2006 में खाजेकलां थाना क्षेत्र में सोमी सिन्हा हत्या, 2008 में चौक थाना इलाके में पिंकू चौधरी की हत्या, 2009 में राहुल आनंद के साथ ही आर्म्स के साथ गिरफ्तारी, 2009 में कदमकुआं थाना क्षेत्र में चर्चित ट्रांसपोर्टर संतोष टेकरीवाल की हत्या, 2016 में एक दुर्गा मूर्ति टूटने के कारन हुए विवाद में भी ये आरोपी रहा था. पटना और आसपास के इलाके में जमीन की खरीद बिक्री में इसने जम कर पैसा बनाया था. लेकिन, अभिषेक उर्फ मस्तु की भी अगमकुआं में गोली मार कर हत्या हो गई थी.

गुंजन खेमका की हत्या का रहस्य गहराया

इसमें एक और अपराधी शामिल था अरुण चौधरी. उसे भी पुलिस ने उस वक्त रिमांड पर लिया था और इस केस में भी उसकी तलाश की जा रही है. गुंजन खेमका की हत्या के पीछे जमीनी विवाद सामने आया था.पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगाले और फरवरी 2019 में कुख्यात अपराधी मस्तु सिंह और उसके एक साथी को गिरफ्तार किया. मस्तु ने अपना गुनाह कबूल किया, लेकिन बाद में उसकी भी हत्या होने से केस का रहस्य गहरा गया. पुलिस ने राघोपुर के तीन गिरोहों पर शक जताया और छापेमारी की, लेकिन मुख्य साजिशकर्ता तक नहीं पहुंच सकी.

खेमका परिवार पर दहशत का साया

गुंजन खेमका की हत्या ने खेमका परिवार को तोड़ दिया था. उनके पिता गुंजन खेमका ने कहा था कि उन्हें कोई धमकी नहीं मिली थी, लेकिन अपराधियों की बेखौफ कार्रवाई ने बिहार में “जंगलराज” की बहस छेड़ दी. गुंजन खेमका हत्याकांड ने बिहार में अपराधियों के दुस्साहस को उजागर किया. अब सात साल बाद गोपाल खेमका की हत्या ने फिर वही सवाल उठाए-क्या बिहार में कानून का राज बचा है? इस हत्याकांड का रहस्य आज भी पूरी तरह सुलझा नहीं है.
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