हत्या कर महिलाओं के शव से करता था रेप, 50 लोगों को उतारा मौत के घाट, बहन का बलात्कार, रमन राघव की पूरी कहानी

सगी बहन के साथ किया था बलात्कार
साल 1965 में एक रात फुटपाथ पर सो रहे 19 लोगों पर अचानक हमला हुआ. इस हमले में 9 लोग मारे गए और 10 लोग बुरी तरह घायल हो गए. इस बार कुछ घायल लोग बच गए और उन्होंने पुलिस को रमन राघव का नाम बताया. पुलिस ने उसकी पुरानी फाइलें खंगाली तो पता चला कि रमन पहले डकैती के एक मामले में 5 साल की सजा काट चुका था. लेकिन जो बात पुलिस को हैरान कर गई वह थी उसका पुराना रिकॉर्ड. रमन ने अपनी सगी बहन को भी नहीं बख्शा था. उसने अपनी बहन को गंभीर रूप से घायल करने के बाद उसके साथ भी बलात्कार किया था.
साल 1965 में एक रात फुटपाथ पर सो रहे 19 लोगों पर अचानक हमला हुआ. इस हमले में 9 लोग मारे गए और 10 लोग बुरी तरह घायल हो गए. इस बार कुछ घायल लोग बच गए और उन्होंने पुलिस को रमन राघव का नाम बताया. पुलिस ने उसकी पुरानी फाइलें खंगाली तो पता चला कि रमन पहले डकैती के एक मामले में 5 साल की सजा काट चुका था. लेकिन जो बात पुलिस को हैरान कर गई वह थी उसका पुराना रिकॉर्ड. रमन ने अपनी सगी बहन को भी नहीं बख्शा था. उसने अपनी बहन को गंभीर रूप से घायल करने के बाद उसके साथ भी बलात्कार किया था.
50 से ज्यादा लोगों की हत्या
पुलिस को जैसे-जैसे रमन के बारे में जानकारी मिली उसकी क्रूरता का अंदाजा लगने लगा। उसने 50 से ज्यादा लोगों की हत्या की थी लेकिन पुलिस के पास उसे सजा दिलाने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं था. उस समय तकनीक की कमी और गवाहों का न होना पुलिस की सबसे बड़ी कमजोरी थी. कई बार रमन को गिरफ्तार किया गया लेकिन कोर्ट में सबूतों के अभाव में उसे छोड़ दिया जाता.
पुलिस को जैसे-जैसे रमन के बारे में जानकारी मिली उसकी क्रूरता का अंदाजा लगने लगा। उसने 50 से ज्यादा लोगों की हत्या की थी लेकिन पुलिस के पास उसे सजा दिलाने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं था. उस समय तकनीक की कमी और गवाहों का न होना पुलिस की सबसे बड़ी कमजोरी थी. कई बार रमन को गिरफ्तार किया गया लेकिन कोर्ट में सबूतों के अभाव में उसे छोड़ दिया जाता.
पहली शिकायत
साल 1968 में रमन की हरकतें और खतरनाक हो गईं. 5 जुलाई की रात को वह चोरी करने निकला. उसने एक हार्डवेयर की दुकान से लोहे की रॉड चुराई और उसे हुक जैसा बनवाया. उसी रात उसने मलाड में एक शिक्षक अब्दुल करीम पर हमला कर उसकी हत्या कर दी. रमन ने उसके 262 रुपये, घड़ी, टॉर्च और छाता चुरा लिया. छाता चुराना उसकी अजीब आदत थी. इसके बाद 19 जुलाई को उसने गोरेगांव में 54 साल के एक व्यक्ति की हत्या की और उसका छाता और चूल्हा लेकर फरार हो गया. 11 अगस्त 1968 को रमन ने मलाड में एक दंपति और उनकी तीन महीने की बच्ची की लोहे की रॉड से हत्या कर दी. हत्या के बाद वह मृत महिला के साथ दुष्कर्म कर रहा था तभी एक वृद्ध महिला ने उसे देख लिया. डर के मारे वह वहां से भाग निकला.
साल 1968 में रमन की हरकतें और खतरनाक हो गईं. 5 जुलाई की रात को वह चोरी करने निकला. उसने एक हार्डवेयर की दुकान से लोहे की रॉड चुराई और उसे हुक जैसा बनवाया. उसी रात उसने मलाड में एक शिक्षक अब्दुल करीम पर हमला कर उसकी हत्या कर दी. रमन ने उसके 262 रुपये, घड़ी, टॉर्च और छाता चुरा लिया. छाता चुराना उसकी अजीब आदत थी. इसके बाद 19 जुलाई को उसने गोरेगांव में 54 साल के एक व्यक्ति की हत्या की और उसका छाता और चूल्हा लेकर फरार हो गया. 11 अगस्त 1968 को रमन ने मलाड में एक दंपति और उनकी तीन महीने की बच्ची की लोहे की रॉड से हत्या कर दी. हत्या के बाद वह मृत महिला के साथ दुष्कर्म कर रहा था तभी एक वृद्ध महिला ने उसे देख लिया. डर के मारे वह वहां से भाग निकला.
गिरफ्तारी का सिलसिला शुरू
इन हत्याओं ने मुंबई पुलिस को परेशान कर दिया था. तत्कालीन पुलिस कमिश्नर ई.एस. मोदक ने सभी बड़े अधिकारियों की एक आपात बैठक बुलाई. पुलिस ने रमन राघव के पुराने रिकॉर्ड, फोटो और फिंगरप्रिंट सभी थानों में भेजे. पुलिस ने आम लोगों में उसकी तस्वीरें बांटीं. एक महिला मंजू देवी ने उसे पहचान लिया. उसने बताया कि 24 अगस्त 1968 को उसने रमन को देखा था. वह खाकी हाफ पैंट, नीली शर्ट और जूते पहने हुए था. 26 अगस्त 1968 को क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर एलेक्स फियालोह ने रमन को भिंडी बाजार में देखा. उसके कपड़ों और गीले छाते ने इंस्पेक्टर को शक दिलाया. बारिश न होने के बावजूद उसका छाता गीला था. पूछताछ में रमन ने अपना नाम दलवई सिंधी बताया लेकिन इंस्पेक्टर को याद आया कि यह रमन का एक और नाम था. उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया
इन हत्याओं ने मुंबई पुलिस को परेशान कर दिया था. तत्कालीन पुलिस कमिश्नर ई.एस. मोदक ने सभी बड़े अधिकारियों की एक आपात बैठक बुलाई. पुलिस ने रमन राघव के पुराने रिकॉर्ड, फोटो और फिंगरप्रिंट सभी थानों में भेजे. पुलिस ने आम लोगों में उसकी तस्वीरें बांटीं. एक महिला मंजू देवी ने उसे पहचान लिया. उसने बताया कि 24 अगस्त 1968 को उसने रमन को देखा था. वह खाकी हाफ पैंट, नीली शर्ट और जूते पहने हुए था. 26 अगस्त 1968 को क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर एलेक्स फियालोह ने रमन को भिंडी बाजार में देखा. उसके कपड़ों और गीले छाते ने इंस्पेक्टर को शक दिलाया. बारिश न होने के बावजूद उसका छाता गीला था. पूछताछ में रमन ने अपना नाम दलवई सिंधी बताया लेकिन इंस्पेक्टर को याद आया कि यह रमन का एक और नाम था. उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया
सच बताने से पहले कहा- मुर्गा खाऊंगा
पुलिस ने उससे सच उगलवाने की पूरी कोशिश की लेकिन मजाल थी कि वह किसी को कुछ बता दे. गुस्सा और प्रताडित कर के जब उसने कुछ नहीं हुआ तो उंगली तो टेढ़ा किया गया, उससे प्यार और शांति से सच पूछा गया. लेकिन सच बताने से पहले उसने पुलिस के सामने एक शर्त रखी, उसने कहा कि- वह सब सच बताएगा लेकिन उससे पहले उसे दूध, केले और मांसाहारी खाना चाहिए. पुलिस ने उसकी शर्त मान ली. खाना खाने के बाद रमन ने अपनी डायरी और हत्या में इस्तेमाल रॉड पुलिस को सौंप दी. उसकी डायरी में हिंदी और अंग्रेजी में लिखा था- ‘खल्लास, खतम.’ इसके बाद रमन ने 6 नवंबर 1968 को मजिस्ट्रेट आरएम देवरे के सामने 24 हत्याओं का गुनाह कबूल कर लिया.
पुलिस ने उससे सच उगलवाने की पूरी कोशिश की लेकिन मजाल थी कि वह किसी को कुछ बता दे. गुस्सा और प्रताडित कर के जब उसने कुछ नहीं हुआ तो उंगली तो टेढ़ा किया गया, उससे प्यार और शांति से सच पूछा गया. लेकिन सच बताने से पहले उसने पुलिस के सामने एक शर्त रखी, उसने कहा कि- वह सब सच बताएगा लेकिन उससे पहले उसे दूध, केले और मांसाहारी खाना चाहिए. पुलिस ने उसकी शर्त मान ली. खाना खाने के बाद रमन ने अपनी डायरी और हत्या में इस्तेमाल रॉड पुलिस को सौंप दी. उसकी डायरी में हिंदी और अंग्रेजी में लिखा था- ‘खल्लास, खतम.’ इसके बाद रमन ने 6 नवंबर 1968 को मजिस्ट्रेट आरएम देवरे के सामने 24 हत्याओं का गुनाह कबूल कर लिया.
ऐसे हुई मौत…
जिला सत्र न्यायालय ने रमन को मौत की सजा सुनाई, लेकिन उसके वकील ने हाईकोर्ट में दलील दी कि रमन मानसिक रूप से बीमार है और उसे क्रॉनिक पैरेनाइक सिजोफ्रेनिया है. हाईकोर्ट ने उसकी सजा को उम्रकैद में बदल दिया और उसे पुणे की यरवदा जेल में रखने का आदेश दिया. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की लेकिन सजा बरकरार रही. साल 1995 में रमन राघव की दोनों किडनियां खराब हो गईं. पुणे के एक अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. इस तरह मुंबई के सबसे खौफनाक हत्यारे की कहानी खत्म हुई लेकिन उसका नाम आज भी लोगों के दिलों में डर पैदा करता है.