Uttarakhand

पूर्व IPS लोकेश्वर सिंह की मुश्किलें बढ़ी, हिरासत में रखने और नग्न कर पीटने के मामले में दोषी करार

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प्रयाग भारत, देहरादून: पिथौरागढ़ के टकाना में पुलिस अधीक्षक कार्यालय में अवैध रूप से हिरासत में रखने और नग्न कर पीटने के एक मामले में पूर्व आईपीएस लोकेश्वर सिंह के खिलाफ राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण ने फैसला सुनाया है. प्राधिकरण ने आईपीएस अधिकारी रहे लोकेश्वर सिंह तत्कालीन पुलिस अधीक्षक पिथौरागढ़ को दोषी करार देते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई करने की संस्तुति उत्तराखंड शासन गृह विभाग को भेजी है. साथ ही पुलिस अधिकारी को सुनवाई का पर्याप्त अवसर प्राप्त करने के भी आदेश जारी किए हैं.

जानकारी के अनुसार लक्ष्मी दत्त जोशी निवासी मंगलम गारमेंट्स पुराना बाजार पिथौरागढ़ ने 8 फरवरी 2023 को जिला पुलिस शिकायत प्राधिकरण,नैनीताल में शिकायत दर्ज कराई. जिसमें कहा गया कि 6 फरवरी 2023 को पिथौरागढ़ के टकाना में पुलिस अधीक्षक कार्यालय के अंदर उस समय के पुलिस अधीक्षक लोकेश्वर सिंह और अन्य छह पुलिस कर्मियों ने पिटाई की. जिसके कारण उन्हें काफी चोटें आई. उनका इलाज चल रहा है. जिसकी मेडिकल रिपोर्ट और एक्स-रे रिपोर्ट में चोटों के निशान हैं.

18 अप्रैल 2023 को तत्कालीन पुलिस अधीक्षक लोकेश्वर सिंह ने शपथ पत्र दिया की लक्ष्मी दत्त जोशी आपराधिक किस्म का व्यक्ति है. इसके खिलाफ कोतवाली पिथौरागढ़ में युवा अधिनियम,चंपावत में सरकारी काम में बाधा डालना और मारपीट गुंडा अधिनियम और कोतवाली पिथौरागढ़ में आपराधिक धमकी देने में मुकदमा दर्ज है. गांव वालों से जमीन संबंधी विवाद में उनके खिलाफ शांति भंग की कार्रवाई की गई है. कोतवाली पिथौरागढ़ क्षेत्र में वाहनों में आग लगाने की घटना के संबंध में लक्ष्मी दत्त जोशी को पूछताछ के लिए बुलाया गया. लक्ष्मी दत्त ने उसे घटना में शामिल होने से इनकार कर दिया. 6 फरवरी 2023 को उनके साथ कोई मारपीट नहीं की गई.

26 में 2023 को पीड़ित ने शपथ पत्र दिया की लोकेश्वर सिंह ने अपने पद का दुरुपयोग कर और स्थानीय दलों के नेताओं से मिली भगत कर उनके खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज किए हैं. सभी मुकदमों की सुनवाई कोर्ट में चल रही है. किसी भी मुकदमे में उन्हें दोषी नहीं किया गया है. एक पीड़ित तो पुलिस विभाग में तैनात सफाई कर्मचारी का बेटा है. 6 फरवरी 2023 को झूठे वाहनों को आग लगाने के मामले में उन्हें पुलिस अभिरक्षा में रखकर मारपीट की गई. उनके खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया गया. करीब 3 साल राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण में चली सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को अलग-अलग तारीखों को अपना-अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया.

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