यमन में वहां के नागरिक की हत्या के लिए मौत की सजा पाई, भारतीय नर्स निमिषा प्रिया
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प्रयाग भारत, नई दिल्ली: यमन में वहां के नागरिक की हत्या के लिए मौत की सजा पाई भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी की सजा रुकवाने के लिए भारत सरकार लगातार प्रयास कर रही है।
परिवार को नहीं फांसी की जानकारी
यमन की मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि निमिषा को 16 जुलाई को फांसी दी जाएगी। हालांकि निमिषा के पति टामी थामस का कहना है, ”हमें अभी तक कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है। हमें इस बारे में केवल समाचार रिपोर्टों के माध्यम से पता चला है।”
इस मामले में पाया गया दोषी
केरल के पलक्कड़ जिले के कोलेनगोड़े की रहने वाली निमिषा को जुलाई, 2017 में एक यमनी व्यक्ति की हत्या का दोषी पाया गया था। वह उसका बिजनेस पार्टनर था। 2020 में एक यमनी अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई थी और देश की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने नवंबर, 2023 में सजा को बरकरार रखा था। लेकिन पीड़ित के परिवार के साथ समझौते यानी ब्लड मनी (दियात) के जरिये संभावित राहत की गुंजाइश छोड़ दी थी।
फांसी की सजा 16 जुलाई को तय की गई
निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल के प्रयासों का केंद्र भी यही संभावना रही है। यमनी मीडिया रिपोर्टों में यमन के अधिकारियों और पीडि़त तलाल अब्दो महदी के परिवार के साथ बातचीत में शामिल एक सामाजिक कार्यकर्ता के हवाले से कहा गया है कि सरकारी अभियोजक ने जेल को आदेश भेजा है और फांसी की सजा 16 जुलाई को तय की गई है।
यमन की राजधानी सना की जेल में बंद है निमिषा
38 वर्षीय निमिषा वर्तमान में यमन की राजधानी सना की जेल में बंद है, जो ईरान समर्थित हाउती विद्रोहियों के नियंत्रण में है। सरकारी सूत्रों ने कहा, ”हम तब से मामले पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। हम स्थानीय अधिकारियों और निमिषा के परिवार के सदस्यों के साथ नियमित संपर्क में हैं और हर संभव सहायता प्रदान की है।”
भारत सरकार फांसी को रोकने के प्रयासों में लगी हुई है
सूत्रों ने कहा कि भारत सरकार 16 जुलाई को होने वाली फांसी को रोकने के प्रयासों में लगी हुई है। इस मामले में कुछ पेचीदगियां हैं क्योंकि भारतीय पक्ष का हूती विद्रोहियों के साथ कोई औपचारिक संपर्क नहीं है। भारतीय पक्ष ने निमिषा की रिहाई के लिए ”ब्लड मनी” चुकाने का विकल्प भी तलाशा था, लेकिन पता चला है कि इसमें भी कुछ समस्याएं आ गईं।
प्रिया के पति थामस दिहाड़ी मजदूर हैं
प्रिया के पति थामस दिहाड़ी मजदूर व ड्राइवर हैं और आर्थिक तंगी के कारण उन्हें अपनी बेटी को छात्रावास भेजने के लिए मजबूर होना पड़ा है, जो अब सातवीं कक्षा की छात्रा है। थॉमस ने पहले कहा था कि परिवार पर 60 लाख रुपये का कर्ज है, जो 2015 में यमन में एक क्लीनिक स्थापित करने के लिए लिया गया था, जिसे 2017 में बंद कर दिया गया था।