620 किमी/घंटा की रफ्तार चीन ने दुनिया की सबसे तेज़ मैग्लेव ट्रेन चलाई

प्रयाग भारत, दिल्ली; क्या आपने कभी ऐसी ट्रेन के बारे में सुना है जो जमीन से उठकर हवा में तैरती हो और सिर्फ 7 सेकंड में 620 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ ले? चीन ने अभी-अभी ऐसी ही एक ट्रेन का सफल परीक्षण किया है, जिसने दुनियाभर की सबसे तेज जमीन पर चलने वाली ट्रेन का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. यह ट्रेन सिर्फ तेज नहीं, बल्कि बिल्कुल शांत और बिना किसी रुकावट के चलती है. आगे जानिए इस नई तकनीक की खासियत और ये कैसे बदल सकती है हमारी यात्रा की दुनिया.
ट्रेन जो पटरी से उठकर चलती है
यह ट्रेन मैग्लेव यानी मैग्नेटिक लेविटेशन तकनीक पर काम करती है. इसमें ट्रेन चुंबकीय बल की मदद से पटरी से ऊपर तैरती है, जिससे पटरी से कोई रगड़ या टकराव नहीं होता. इसका मतलब सफर बहुत स्मूद और आरामदायक होता है, साथ ही ट्रेन चलाते समय शोर भी बेहद कम होता है. यह तकनीक इस बात की भी गारंटी देती है कि ट्रेन बिना रुके और बिना ज्यादा ऊर्जा खर्च किए तेज गति पकड़ सकती है.
यह ट्रेन मैग्लेव यानी मैग्नेटिक लेविटेशन तकनीक पर काम करती है. इसमें ट्रेन चुंबकीय बल की मदद से पटरी से ऊपर तैरती है, जिससे पटरी से कोई रगड़ या टकराव नहीं होता. इसका मतलब सफर बहुत स्मूद और आरामदायक होता है, साथ ही ट्रेन चलाते समय शोर भी बेहद कम होता है. यह तकनीक इस बात की भी गारंटी देती है कि ट्रेन बिना रुके और बिना ज्यादा ऊर्जा खर्च किए तेज गति पकड़ सकती है.
China’s driverless maglev train at 600 km/h: the world’s fastest ground-level ride. Feel the float! 🚅 pic.twitter.com/2x6AyfJ9mp— Mao Ning 毛宁 (@SpoxCHN_MaoNing) July 10, 2025
प्लेन से भी तेज रफ्तार!
चीन की नई मैग्लेव ट्रेन की रफ्तार करीब 620 किलोमीटर प्रति घंटे (लगभग 385 मील प्रति घंटे) तक पहुंचती है, जो कि आमतौर पर डोमेस्टिक फ्लाइट की क्रूजिंग स्पीड के बराबर या उससे थोड़ी तेज है. उदाहरण के लिए, एक सामान्य कमर्शियल जेट विमान जैसे बोइंग 737 की एवरेज फ्लाइंग स्पीड लगभग 550 से 575 मील प्रति घंटे (885 से 925 किमी/घंटा) के बीच होती है, लेकिन चीन की मैग्लेव ट्रेन का यह नया प्रोटोटाइप लगभग 620 मील प्रति घंटे (लगभग 1000 किमी/घंटा) तक पहुंचने की क्षमता रखता है, जो विमान की गति के करीब है या कुछ मामलों में उससे भी तेज माना जा सकता है.
चीन की नई मैग्लेव ट्रेन की रफ्तार करीब 620 किलोमीटर प्रति घंटे (लगभग 385 मील प्रति घंटे) तक पहुंचती है, जो कि आमतौर पर डोमेस्टिक फ्लाइट की क्रूजिंग स्पीड के बराबर या उससे थोड़ी तेज है. उदाहरण के लिए, एक सामान्य कमर्शियल जेट विमान जैसे बोइंग 737 की एवरेज फ्लाइंग स्पीड लगभग 550 से 575 मील प्रति घंटे (885 से 925 किमी/घंटा) के बीच होती है, लेकिन चीन की मैग्लेव ट्रेन का यह नया प्रोटोटाइप लगभग 620 मील प्रति घंटे (लगभग 1000 किमी/घंटा) तक पहुंचने की क्षमता रखता है, जो विमान की गति के करीब है या कुछ मामलों में उससे भी तेज माना जा सकता है.
वैक्यूम टनल ने बढ़ाई रफ्तार
चीन ने इस ट्रेन को एक खास वैक्यूम टनल में दौड़ाया, जहां हवा लगभग नहीं होती. हवा के दबाव के बिना ट्रेन को तेज़ भागने में कोई रुकावट नहीं आती. यही वजह है कि इस ट्रेन ने 7 सेकंड में 620 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ी. आमतौर पर हवा के कारण तेज़ गति पकड़ना मुश्किल होता है, लेकिन इस वैक्यूम टनल की मदद से ये संभव हो पाया.
दुनिया की सबसे तेज़ ज़मीन पर चलने वाली ट्रेन
फिलहाल दुनिया में जो मैग्लेव ट्रेनें चल रही हैं, उनकी रफ्तार 430 से 600 किलोमीटर प्रति घंटे के बीच होती है. चीन की यह नई ट्रेन उन सभी से तेज है और यह जमीन पर चलने वाली सबसे तेज ट्रेन बन गई है. इसके सफल परीक्षण से पता चलता है कि चीन इस क्षेत्र में दुनिया के बाकी देशों से काफी आगे बढ़ चुका है.
फिलहाल दुनिया में जो मैग्लेव ट्रेनें चल रही हैं, उनकी रफ्तार 430 से 600 किलोमीटर प्रति घंटे के बीच होती है. चीन की यह नई ट्रेन उन सभी से तेज है और यह जमीन पर चलने वाली सबसे तेज ट्रेन बन गई है. इसके सफल परीक्षण से पता चलता है कि चीन इस क्षेत्र में दुनिया के बाकी देशों से काफी आगे बढ़ चुका है.
भविष्य की यात्रा का नया तरीका
इस ट्रेन की खासियत सिर्फ इसकी रफ्तार नहीं है. चूंकि यह ट्रेन चुंबकीय बल से चलती है और वैक्यूम टनल में दौड़ती है, इसलिए यह कम आवाज़ करती है और कम ऊर्जा खर्च करती है. इसका मतलब है कि आने वाले समय में शहरों के बीच लंबा सफर बहुत जल्दी, आरामदायक और पर्यावरण के लिहाज से बेहतर होगा. यह तकनीक हाइपरलूप जैसी भविष्य की ट्रांसपोर्ट सिस्टम का एक बड़ा हिस्सा बन सकती है.
इस ट्रेन की खासियत सिर्फ इसकी रफ्तार नहीं है. चूंकि यह ट्रेन चुंबकीय बल से चलती है और वैक्यूम टनल में दौड़ती है, इसलिए यह कम आवाज़ करती है और कम ऊर्जा खर्च करती है. इसका मतलब है कि आने वाले समय में शहरों के बीच लंबा सफर बहुत जल्दी, आरामदायक और पर्यावरण के लिहाज से बेहतर होगा. यह तकनीक हाइपरलूप जैसी भविष्य की ट्रांसपोर्ट सिस्टम का एक बड़ा हिस्सा बन सकती है.
आगे क्या होगा?
अभी यह ट्रेन सिर्फ एक प्रोटोटाइप है. चीन अगले कदम में इसे लंबी दूरी के लिए विकसित करेगा और इसे यात्रियों और सामान के लिए इस्तेमाल में लाएगा. इसके साथ ही चीन इस क्षेत्र में जापान, यूरोप और अमेरिका जैसे देशों से मुकाबला कर रहा है और जल्द ही यह नई तकनीक आम लोगों के लिए भी उपलब्ध हो सकती है.
अभी यह ट्रेन सिर्फ एक प्रोटोटाइप है. चीन अगले कदम में इसे लंबी दूरी के लिए विकसित करेगा और इसे यात्रियों और सामान के लिए इस्तेमाल में लाएगा. इसके साथ ही चीन इस क्षेत्र में जापान, यूरोप और अमेरिका जैसे देशों से मुकाबला कर रहा है और जल्द ही यह नई तकनीक आम लोगों के लिए भी उपलब्ध हो सकती है.