जेएनयू ने 80% तक कम कर दी विदेशी छात्रों कि फीस

प्रयाग भारत, दिल्ली;जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आकर्षित करने के लिए विदेशी छात्रों की फीस 80% तक कम कर दी है. यूनिवर्सिटी ने यह फैसला अंतरराष्ट्रीय छात्रों के नामांकन में आई गिरावट के बाद लिया है. टाइम्स ऑफ इंडिया से कुलपति संतिश्री धूलिपुडी ने बतया कि इसका मकसद यूनिवर्सिटी की वैश्विक अकादमिक पहचान को फिर से मजबूत करना है.
रिपोर्ट के अनुसार, जेएनयू ने SAARC देशों के छात्रों के लिए ह्यूमैनिटीज प्रोग्राम की सेमेस्टर फीस 700 डॉलर से घटाकर 200 डॉलर कर दी है, मतलब 71 फीसदी की कटौती. वहीं, साइंस प्रोग्राम की फीस अब 300 डॉलर होगी. जो पहले 700 डॉलर थी. इसकी फीस में 57 फीसदी की कटौती की गई है.
विदेशी छात्रों की रजिस्ट्रेशन फीस 500 डॉलर
अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के छात्रों के लिए साइंस कोर्स की फीस में 78% की कमी करते हुए 1,900 डॉलर से घटाकर 400 डॉलर और ह्यूमैनिटीज की फीस 1,500 डॉलर से घटाकर 1,000 डॉलर (33% कमी) कर दी गई है. इसके अलावा, अब सभी विदेशी छात्रों को एकमुश्त 500 डॉलर का पंजीकरण शुल्क देना होगा.
जेएनयू ने फीस में कमी का फैसला ऐसे समय में किया है जब पिछले कुछ वर्षों में यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों के प्रवेश में बड़ी गिरावट देखी गई है. TOI की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2020-21 में जहां जेएनयू में 152 विदेशी छात्र थे, वहीं 2021-22 में यह संख्या घटकर 122, 2022-23 में 77 और 2023-24 में केवल 51 रह गई. विदेशी छात्रों की संख्या के साथ देशों की संख्या भी घट गई है. 2020-21 में 14 देशों के छात्रों ने जेएनयू में एडमिशन लिया था. 2023-24 में घटकर यह संख्या 8 रह गई. फगानिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल जैसे देश, जो पहले सबसे ज़्यादा छात्र भेजते थे, अब जेएनयू परिसर में नगण्य या कोई उपस्थिति नहीं रखते. छात्रों ने फीस को एक बड़ा कारण बताया था.
जेएनयू की कुलपति ने बताया, , “मैं और मेरी टीम ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए फीस स्ट्रक्चर को रिजनेबल करने पर काम किया है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विजन और मिशन को लागू करते हुए 25 फीसदी अतिरक्त कोटे को लागू किया. उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य G20 देशों, विशेष रूप से ग्लोबल साउथ कबे छात्रों को आकर्षित करना है.
अंतरराष्ट्रीय छात्रसंघ ने किया फैसले का स्वागत
फीस में कमी के फैसले का स्वागत करते हुए जेएनयू अंतरराष्ट्रीय छात्रसंघ के अध्यक्ष सौगत फूयाल ने कहा कि यह मांग लंबे समय से की जा रही थी. इससे विशेषतौर पर SAARC देशों स कैंपस में विविधता लौटाने में मदद मिलेगी. हाल के वर्षों में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या, विशेष रूप से SAARC देशों से, काफी घट गई थी. नया फीस स्ट्रक्चर एक सकारात्मक कदम है.