Uttarakhand

नैनीताल में अस्थमा मरीजों की संख्या में अचानक उछाल, जानें इसके पीछे की वजह और बचाव के उपाय

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Spread the loveप्रयाग भारत, उत्तराखंड; उत्तराखंड की मशहूर सरोवर नगरी नैनीताल में जहां एक ओर पर्यटकों को रुक-रुक कर हो रही बारिश और घना कोहरा सुकून दे रहा है. वहीं दूसरी ओर यही मौसम अस्थमा (Asthma) और एलर्जी के मरीजों […]

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प्रयाग भारत, उत्तराखंड; उत्तराखंड की मशहूर सरोवर नगरी नैनीताल में जहां एक ओर पर्यटकों को रुक-रुक कर हो रही बारिश और घना कोहरा सुकून दे रहा है. वहीं दूसरी ओर यही मौसम अस्थमा (Asthma) और एलर्जी के मरीजों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. जिला अस्पताल में दर्ज हो रहे आंकड़ों के अनुसार, रोजाना 70 से 80 मरीज सांस और मौसम से जुड़ी बीमारियों को लेकर उपचार के लिए पहुंच रहे हैं. इनमें से लगभग 30 से 35 मरीज केवल अस्थमा से पीड़ित हैं. 

क्यों बढ़ रहे हैं अस्थमा के मरीज

दूसरी ओर, एलर्जी के लक्षणों के साथ आने वाले मरीजों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. अस्पताल के चेस्ट फिजिशियन डॉ. अभिषेक गुप्ता ने बताया कि बारिश और कोहरे के इस मौसम में हवा में नमी (मॉइश्चर) के साथ-साथ फंगल और एलर्जिक तत्वों की मात्रा काफी बढ़ जाती है. यही कारण है कि अस्थमा के रोगियों को सांस लेने में दिक्कत, सीने में जकड़न, खांसी और घरघराहट जैसी समस्याएं अधिक हो रही हैं.

क्या है अस्थमा की बीमारी

अस्थमा (Asthma) एक दीर्घकालिक (क्रॉनिक) श्वसन रोग है, जिसमें रोगी की श्वास नलिकाएं यानी फेफड़ों तक हवा ले जाने वाले रास्ते संवेदनशील और संकुचित हो जाते हैं. इससे मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है. यह रोग किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन बच्चों और बुजुर्गों में इसकी आशंका अधिक होती है. वहीं यदि परिवार के किसी सदस्य को अस्थमा की बीमारी है, तो आगे चलकर किसी अन्य सदस्य को भी यह बीमारी होने की आशंका रहती है. अस्थमा में मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है, सीने में जकड़न या दर्द महसूस होती है. रात यां सुबह से समय खांसी होती है, और गले से घरघराहट जैसी आवाज आती है. 

कैसे करें बचाव?

डॉक्टर का कहना है कि अस्थमा या एलर्जी से ग्रस्त लोगों को इस मौसम में अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है. घर में साफ-सफाई बनाए रखें, फफूंदी लगे कपड़े और गीले बिस्तर से दूरी रखें. बाहर निकलते समय मास्क का उपयोग करें और नमी वाले स्थानों से जितना हो सके बचें.
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