India Update

ना राफेल, ना F-35, ना S-500, भारत ने किया सबसे बड़ा रक्षा सौदा, 1 लाख करोड़ की डील पर मुहर

Summary

Spread the love

Spread the loveप्रयाग भारत, दिल्ली; ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय रक्षा उत्पादनों की चर्चा पूरी दुनिया में है. खासकर सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस और भारतीय डिफेंस सिस्टम आकाश ने जो काबिलियत दिखाई है उससे दुनिया हैरान है. इसके बाद से […]

Spread the love

प्रयाग भारत, दिल्ली; ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय रक्षा उत्पादनों की चर्चा पूरी दुनिया में है. खासकर सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस और भारतीय डिफेंस सिस्टम आकाश ने जो काबिलियत दिखाई है उससे दुनिया हैरान है. इसके बाद से भारत की ओर से और बड़े सैन्य डील की संभावना जताई जा रही थी. कहा जा रहा था कि भारत को अब पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स की खरीद करना चाहिए. लेकिन, भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह फिलहाल किसी अन्य देश से फाइटर जेट खरीदने की बजाय खुद का अपना 5th जेन फाइटर जेट बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.

इसी क्रम में भारत सरकार ने एक और बड़ा लिया है. इसके लिए सरकार ने खजाना खोल दिया है. सरकार ने तीन बड़े और सात अन्य खरीद को मंजूरी दी है. इसमें स्पाई एयरक्राफ्ट, एडवांस माइन्स स्वीपर और त्वरित एक्शन लेने वाले डिफेंस सिस्टम की खरीद को मंजूरी दी गई है. सबसे बड़ी बात ये है कि ये हथियार देश में ही विकसित किए गए हैं. इसमें 12 माइन काउंटरमेजर्स वेसल्स हैं. इसकी कीमत करीब 44 हजार करोड़ है. ये स्पेशलाइज्ड वारशिप हैं. ये 900 से 1000 टन डिस्प्लेस्मेंट क्षमता के हैं. ये समंदर में पानी के भीतर बिछाई गई माइन्स को तबाह करने के लिए है. जंग के दौरान दुश्मन सेना आमतौर पर समंदर के भीतर माइन्स बिछा देती है जिससे कि बंदरगाहों और जहाजों को बाधित कर दिया जाए.

भारत के भौगोलिक स्थिति और चीन-पाकिस्तान के बीच गहराते सैन्य रिश्ते को देखते हुए इस माइन्स स्वीपर की जरूतर महसूस की जा रही थी. मौजूदा वक्त में नौसेना क्लिप ऑन माइन काउंटरमेजर्स सूट्स का इस्तेमाल करती है. ये सूट्स कुछ जहाजों में लगाए रहते हैं. लेकिन अब एडवांस माइन्स स्वीपर हमारे युद्ध पोतों और पनडुब्बियों के आगे-आगे चलेंगे और उनको सुरक्षित मार्ग उपलब्ध करवाएंगे.

इसके साथ ही सरकार ने 36 हजार करोड़ खर्च कर क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (QRSAM) खरीदने को मंजूरी दी है. इसे डीआरडीओ ने डेवलप किया है. थल सेना और एयरफोर्स के इन मिसाइलों के तीन-तीन क्वायड्रन मिलेंगे. भारतीय सेना ने इसके 11 रेजिमेंट्स की जरूरत बताई है. इन मिसाइलों को बड़े आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है. इनको दुश्मन देश के फाइटर जेट, हेलीकॉप्टरों और ड्रोन को 30 किमी की दूरी से इंटरसेप्ट करने के लिए बनाया गया है. इससे देश की मल्टी लेयर डिफेंस सिस्टम को और मजबूती मिलेगी. इस डिफेंस सिस्टम में पहले से ही एस400 और आकाश डिफेंस सिस्टम हैं.

सरकार ने तीन ISTAR विमानों की खरीद को मंजूरी है. ISTAR का काम इंटेलिजेंस, सर्विलांस, टार्गेट की खोज और जासूसी करना है. इस पर 10 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे. इन विमानों को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि ये फाइटर जेट्स और मिसाइलों को दुश्मन के अभेद्य किले को भेदने में सक्षम बनाते हैं. इस विमानों में व्यापक स्तर पर देसी सेंसर और डीआरडीओ द्वारा विकसित अन्य सिस्टम लगाए गए हैं. इसमें सिंथेटिक अपैचर रडार, इलेक्ट्रो ऑप्टिकल और इंफ्रारेड सेंसर है जो बेहद सूक्ष्य खुफिया जानकारी इकट्ठा करने में सक्षम हैं.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *