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थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर फिर गरमाया विवाद, हवाई हमलों के बीच प्राचीन शिव मंदिर बने तनाव का कारण

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प्रयाग भारत, दिल्ली; कंबोडिया और थाईलैंड के बीच विवादित सीमा को लेकर तनाव चरम पर पहुंच गया है. कंबोडिया और थाईलैंड ने एक दूसरे पर हमला कर दिया है. बात सिर्फ गोलीबारी पर नहीं रुकी है, थाईलैंड सेना ने पुष्टि की है कि थाईलैंड ने दो कंबोडियाई सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले शुरू किए हैं. इससे कुछ घंटे पहले ही दोनों देशों ने एक दूसरे के साथ राजनयिक संबंधों को न्यूनतम स्तर पर ला दिया था.

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कंबोडियाई सरकार के एक सूत्र ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया कि थाई प्रांत सुरिन और कंबोडिया के ओद्दार मीनची के बीच के बॉर्डर पर दो मंदिरों के पास गुरुवार सुबह फिर से हिंसा भड़क उठी. एएपी की रिपोर्ट के अनुसार थाई सेना ने पुष्टि की है कि उसने दो कंबोडियाई सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले शुरू किए है.

कंबोडिया के रक्षा मंत्रालय की प्रवक्ता माली सोचीता ने एक बयान में कहा, “थाई सेना ने देश के संप्रभु क्षेत्र की रक्षा के लिए तैनात कंबोडियाई बलों पर सशस्त्र हमला करके कंबोडिया साम्राज्य की क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन किया है… जवाब में, कंबोडियाई सशस्त्र बलों ने थाई घुसपैठ को विफल करने और कंबोडिया की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए, अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार पूर्ण आत्मरक्षा के अपने वैध अधिकार का प्रयोग किया.”

थाई सेना ने पहले हमले के लिए कंबोडियाई सैनिकों को दोषी ठहराया, और बाद में उन पर “नागरिकों पर लक्षित हमले” का आरोप लगाया. उसने कहा कि दो BM-21 रॉकेटों ने सुरिन के कप चोएंग जिले में एक समुदाय पर हमला किया था, जिसमें तीन लोग घायल हो गए.

वहीं थाईलैंड के दूतावास ने गुरुवार को अपने नागरिकों से कंबोडिया छोड़ने का आग्रह किया है. दूतावास ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि थाइलैंड के लोगों को “जितनी जल्दी हो सके” कंबोडिया छोड़ देना चाहिए, जब तक कि उनके पास वहां रहने के लिए जरूरी कारण न हों.
गुरुवार की सुबह झड़के के कुछ घंटे पहले ही कंबोडिया ने घोषणा की कि वह थाईलैंड के साथ अपने राजनियक संबंधों को “निम्नतम स्तर” पर ला रहा है, एक को छोड़कर अपने सभी राजनयिकों को थाईलैंड से बाहर निकाल रहा है और अपने देश में मौजूद थाई राजनयिकों को निष्कासित कर रहा है. हाल के हफ्तों में दोनों देशों की ओर एक दूसरे पर जैसे को तैसा के हमले की एक श्रृंखला देखी गई है. थाईलैंड ने सीमा पार करने पर प्रतिबंध लगा दिया है और कंबोडिया ने कुछ आयात रोक दिए हैं.

गुरूवार को हिंसा क्यों भड़की?

थाईलैंड सेना के अनुसार, घटना स्थानीय समयानुसार सुबह 7:35 बजे के आसपास शुरू हुई. थाईलैंड के सुरिन प्रांत के पास ता मुएन मंदिर की सुरक्षा करने वाली थाई सैनिकों की इकाई ने ऊपर एक कंबोडियाई ड्रोन की आवाज सुनी. सेना ने कहा कि बाद में छह सशस्त्र कंबोडियाई सैनिक, जिनमें एक रॉकेट चालित ग्रेनेड ले जा रहा था, थाई पोस्ट के सामने कांटेदार बाड़ के पास पहुंचे. सेना ने कहा, थाई सैनिकों ने उन्हें चिल्लाकर चेतावनी दी लेकिन सुबह 8:20 बजे के आसपास, कंबोडियाई बलों ने थाई बेस से लगभग 200 मीटर दूर, मंदिर के पूर्वी हिस्से की ओर गोलीबारी शुरू कर दी.

वहीं थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधान मंत्री फुमथम वेचयाचाई ने कहा, “स्थिति को सावधानीपूर्वक संभालने की आवश्यकता है, और हमें अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार कार्य करना चाहिए”. उन्होंने कहा, “हम अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करेंगे.”

यह झड़प थाईलैंड द्वारा कंबोडियाई राजदूत को निष्कासित करने और थाई सैन्य गश्ती दल के पांच सदस्यों के बारूदी सुरंग से घायल होने के विरोध में अपने खुद के दूत को वापस बुलाने के कुछ घंटों बाद हुई. थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधान मंत्री वेचयाचाई ने कहा कि थाई सेना की जांच में सबूत मिले हैं कि कंबोडिया ने विवादित सीमा क्षेत्र में नई बारूदी सुरंगें बिछाई थीं. जबकि कंबोडिया ने इस दावे का खंडन किया है.

आखिरकार थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद क्यों है?

मई के बाद से इन दो दक्षिण पूर्व एशियाई पड़ोसियों के बीच संबंध तेजी से खराब हो गए हैं. मई में सीमा पर मौजूद एक क्षेत्र को लेकर झड़प हुआ जिसे दोनों अपना मानते हैं. इसमें एक कंबोडियाई सैनिक की मौत हो गई थी.

कंबोडिया और थाईलैंड एक दूसरे के साथ 817 किलोमीटर की भूमि सीमा (लैंड बॉर्डर) शेयर करते हैं. लेकिन इस भूमि सीमा का मानचित्र बड़े पैमाने पर फ्रांस द्वारा बनाया गया था जब उसने 1863 से 1953 तक कंबोडिया पर राज किया था. 1907 में बना यह नक्शा थाईलैंड और कंबोडिया के बीच एक प्राकृतिक जलक्षेत्र रेखा का पालन करने के समझौते पर आधारित था. लेकिन थाईलैंड ने बाद में इस तथ्य पर मानचित्र का विरोध किया कि इसमें 11वीं शताब्दी के प्रीह विहियर मंदिर को कंबोडियाई क्षेत्र में आने वाले डांगरेक पर्वत में रखा था. UNESCO के अनुसार कंबोडिया के मैदान पर हावी पठार के किनारे पर स्थित, प्रीह विहार का मंदिर भगवान शिव को समर्पित है.

सीमा के आसपास के कई क्षेत्र ऐसे हो गए जिन पर दोनों देश अपना दावा करते हैं. सीमा की रेखा को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है. कंबोडिया ने मंदिर विवाद को लेकर 1959 में थाईलैंड को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में घसीटा. 1962 में अदालत ने कंबोडिया के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि प्रीह विहार मंदिर कंबोडियाई क्षेत्र में आता है. थाईलैंड ने उस समय फैसले को स्वीकार किया लेकिन साथ ही यह तर्क दिया कि मंदिर के आसपास की सीमाएं अभी भी विवादित थीं, जिससे सीमा रेखाएं और जटिल हो गईं.

टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार 2008 में तनाव तब भड़क गया जब कंबोडिया ने प्रीह विहार मंदिर को यूनेस्को द्वारा विश्व-धरोहर का दर्जा देने की मांग की. जुलाई 2008 में मंदिर को मान्यता मिलने के बाद, सीमा क्षेत्र के पास कंबोडियाई और थाई सैनिकों के बीच सैन्य झड़पें शुरू हो गईं. ये झड़पें वर्षों तक चलीं और 2011 में चरम पर पहुंच गईं. उस साल अप्रैल में संघर्ष के चरम पर होने के कारण 36,000 लोग विस्थापित हो गए. लगभग इसी समय, कंबोडिया 1962 के फैसले को पुख्ता करवाने के लिए फिर से इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में गया. अदालत ने दो साल बाद अपने पिछले फैसले की फिर से पुष्टि की. यह एक ऐसा था निर्णय जिसे आज भी थाईलैंड मन से स्वीकार नहीं कर सका है.

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