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सीरिया में अपहरण और लूट से भड़की हिंसा, गुटों की जंग में 30 की मौत, हालात काबू में लाने सेना तैनात

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प्रयाग भारत, दिल्ली; सीरिया के दक्षिणी स्वैदा प्रांत में ड्रूज धार्मिक अल्पसंख्यक की मिलिशिया और सुन्नी बेदुइन कबीलों के बीच हुई हिंसक झड़पों ने एक बार फिर देश में अस्थिरता को उजागर कर दिया है। इन झड़पों में अब तक 30 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 100 लोग घायल हुए हैं। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने सेना और आंतरिक मंत्रालय की टीमें मौके पर भेजी हैं।

यूके स्थित वॉर मॉनिटर ‘सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स’ के मुताबिक, झड़पों की शुरुआत तब हुई जब एक ड्रूज सब्जी विक्रेता को एक बेदुइन कबीले ने अपहरण कर लूट लिया। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच एक के बाद एक अपहरण और जवाबी हमले शुरू हो गए। यही हिंसा अब बड़े संघर्ष में बदल गई है।अब तक 37 की मौत, बच्चों की भी जान गई
रिपोर्ट के अनुसार, इन झड़पों में कम से कम 37 लोगों की मौत हो चुकी है जिनमें दो बच्चे भी शामिल हैं। झड़पों में कई लोग घायल भी हुए हैं और स्थानीय अस्पतालों में इलाज जारी है। क्षेत्र में तनाव को देखते हुए सेना की टुकड़ियों को सुरक्षा चौकियों पर तैनात किया गया है।

स्थिति नियंत्रण से बाहर- सरकार ने माना
सीरिया के गृह मंत्रालय ने इस हिंसा को ‘खतरनाक स्थिति’ बताया है। मंत्रालय ने कहा कि स्थानीय प्रशासन की अनुपस्थिति के कारण हालात बिगड़े हैं और आम लोग इसे नियंत्रित करने में असफल रहे हैं। सरकार अब स्थिति को शांत करने के लिए हर संभव कदम उठा रही है।
ड्रूज समुदाय की सरकार पर संदेह भरी नजर
ड्रूज समुदाय सीरिया में एक धार्मिक अल्पसंख्यक है जिसकी जड़ें 10वीं सदी के इस्माइली शाखा से जुड़ी हैं। ये समुदाय मुख्य रूप से स्वैदा प्रांत और दमिश्क के दक्षिणी उपनगरों में रहता है। बशर अल-असद के सत्ता से हटने के बाद से ड्रूज गुटों ने अपने हथियारबंद समूह बनाए और नई सरकार को लेकर अब भी उनमें गहरा संशय है।
14 साल की जंग के बाद भी शांति दूर
सीरिया में लगभग 14 वर्षों से जारी गृहयुद्ध ने समाज को कई हिस्सों में बांट दिया है। ड्रूज गुट जहां नई सरकार के साथ एकीकरण को लेकर बंटे हुए हैं, वहीं बेदुइन कबीलों के साथ उनका टकराव नई समस्या बनकर उभरा है। इस झड़प ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सीरिया में स्थायी शांति अभी भी एक दूर की कौड़ी है।
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