Uttarakhand

उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा का पहला चरण पूरा

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प्रयाग भारत, देहरादून : उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा का पहला चरण 30 अप्रैल से शुरू होकर 25 जून 2025 पूरा हो गया है. हर साल लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित और भक्ति का केंद्र रहने वाली इस यात्रा में इस बार भी गजब का उत्साह देखा गया. इस वर्ष भी यात्रा के पहले चरण में भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने चारों धामों के दर्शन किए. इस दौरान कई दुर्घटनाओं और मृत्यु के मामलों भी 3 महीने की यात्रा में चर्चा का विषय रहे.

अब राज्य में बारिश आने की वजह से यात्रा दिन प्रतिदिन हल्की हो रही है. आने वाले दिनों में ये संख्या उंगलियों पर गिनी जा सकेगी. सितंबर महीने की शुरुआत से यात्रा के बार फिर से रफ़्तार पकड़ेगी, लेकिन इस बार प्रशासन को इन तीन महीने की खामी और लापरवाही की भरपाई भी करनी होगी.

ऐसी रही अभी तक की यात्रा: चारधाम यात्रा 2025 का शुभारंभ 30 अप्रैल को यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ हुआ. केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई और बदरीनाथ धाम के कपाट 4 मई को खुले. उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के अनुसार और आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक अभी तक यानी 24 जून तक लगभग 35 लाख 20 हजार 813 श्रद्धालुओं ने चार धामों और हेमकुंड साहिब के दर्शन किए. चारधाम यात्रा में हर साल पहला चरण मई और जून के महीनों में भारी भीड़ के लिए जाना जाता है. इस यात्रा के सही मौसम रहता है. इसके बाद मानसून सीजन शुरू हो जाता है. जिसमें लैंडस्लाइड की घटनाएं बढ़ जाती है. जिससे यात्रा बाधित होती है.

पहले चरण की इस यात्रा में इस बार भीड़ इतनी चर्चा का विषय नहीं रही जितनी चर्चा अलग अलग दुर्घटनाओं की हुई. यात्रा के पहले चरण में स्वास्थ्य समस्याओं, प्राकृतिक आपदाओं और हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं के कारण कई श्रद्धालुओं की जान गई. उत्तराखंड राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के आंकड़ों के अनुसार, 30 अप्रैल से 25 जून 2025 तक चार धाम और हेमकुंड साहिब यात्रा के दौरान कुल 163 श्रद्धालुओं की मृत्यु हो चुकी है. इनमें से अधिकांश मौतें स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं, जैसे हृदयाघात, ऑक्सीजन की कमी और ऊंचाई पर सांस लेने में कठिनाई के कारण हुईं है. कुछ दुर्घटना के कारण भी लोगों की मौत हुई है.

चारधाम में मौत का आंकड़ा: इस साल सबसे अधिक मौतें केदारनाथ यात्रा में हुई हैं. केदारनाथ यात्रा में 75 मौत हो चुकी हैं. जिसमें अधिकांश स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और कुछ हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं के कारण हुईं है. इसके बाद बदरीनाथ में 41 मौतें हुई हैं. जिनमें 32 स्वास्थ्य खराब होने के कारण हुई हैं. गंगोत्री धाम में 22, यमुनोत्री में 24 और हेमकुंड साहिब में अब तक एक मौत हुई है.

ये रही प्रमुख दुर्घटनाएं: चारधाम यात्रा के दौरान हर साल कई एक्सीडेंट और अलग अलग हादसे होते हैं लेकिन इस बार एक के बाद एक हेली हादसों के कारण सभी की चिंताएं बढ़ी. 8 मई को गंगोत्री मार्ग पर हुए हेलीकॉप्टर क्रैश में 6 लोगों की मौत हो गई. जिसमें 5 यात्री और 1 पायलट शामिल था. 15 जून को केदारनाथ से गुप्तकाशी लौट रहे एक हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस हादसे में 7 लोगों की जान गई. जिसमें एक दो साल का बच्चा भी शामिल था. इसके अलावा, 17 मई और 7 जून को तकनीकी खराबियों के कारण हेलीकॉप्टरों की आपात लैंडिंग हुई. इनमें कोई जनहानि नहीं हुई. कुल मिलाकर, इस वर्ष अब तक 5 हेलीकॉप्टर दुर्घटनाएं दर्ज की गई हैं. जिनमें से दो घातक थीं. इसके बाद एहतियातन कदम प्रशासन की तरफ से उठाए गए हैं.

भूस्खलन ने भी किया परेशान: इसके अलावा यात्रा के दौरान इस बार भूस्खलन भी सिरदर्द बना रहा. 18 जून को केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग पर जंगलचट्टी के पास भूस्खलन में जम्मू-कश्मीर के दो मजदूरों की मौत के बाद केदार का रास्ता चर्चा में आ गया. इस हादसे में तीन अन्य लोग घायल हुए. इसी जगह 8 जून को भी भूस्खलन की वजह से एक व्यक्ति की मौत हो गई. इसके साथ ही 24 जून को यमुनोत्री धाम में भूस्खलन की घटना में 2 लोगों की मौत हुई. इसमें कुछ लोगों के लापता होने की खबर है. अभी भी लापता लोगो की तलाश की जा रही है.

ये रही है अभी तक व्यवस्था: चारधाम यात्रा के लिए सरकार की तरफ से पहले ही कई तरह के प्रयास किये गए. जिसमें यात्रा के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन पंजीकरण को अनिवार्य किया गया. हरिद्वार, ऋषिकेश और विकास नगर में लगभग 55 रजिस्ट्रेशन काउंटर बनायें गए. 2 मार्च 2025 से शुरू हुए पंजीकरण में अब तक 45 लाख 52 हजार 107 श्रद्धालुओं ने रजिस्ट्रेशन कराया है. इसके अलावा, यात्रा मार्ग पर सुरक्षा और यातायात व्यवस्था को बेहतर करने के लिए डाकपत्थर और हरबर्टपुर में दो नई चेकपोस्ट बनाई गई हैं. जिससे पिछले साल की तरह जाम की समस्या से बचा जा सके.

ये समय हमारे लिए महत्वपूर्ण: उत्तराखंड आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन की मानें तो यात्रा के पहले दिन से हमारी तैयारी थी, लेकिन अब उस तैयारी की परीक्षा है. मानसून सिर पर है. ऐसे में हमने सभी धामों में मार्ग में आपदा की दृष्टि से टीमें गठित की हैं. उन्होंने कहा हमारी कोशिश रहती है की किसी भी घटना के बाद राहत और बचाव कार्य तेज़ी से किया जा सके.

सितंबर में फिर रफ्तार पकड़ेगा यात्रा, बढ़ेगी भीड़: मानसून के कारण जुलाई और अगस्त में यात्रा मार्गों पर भूस्खलन का खतरा रहता है. जिसके चलते तीर्थयात्रियों की संख्या में कमी आती है. सितंबर में मानसून के समाप्त होने के बाद यात्रा फिर से गति पकड़ेगी. उत्तराखंड पर्यटन विभाग के अनुसार, इस दौरान रोजाना 25 हजार से अधिक श्रद्धालु चार धामों में दर्शन के लिए पहुंच सकते हैं. पिछले वर्ष 56 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने चार धामों के दर्शन किए थे. इस वर्ष यह आंकड़ा टूटने की संभावना है

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